1991 indian economic crisis : जब भारत ने गिरवी रखा था अपना सोना

1991 indian economic crisis : दोस्तों मैं आज ऐसे क्षण की चर्चा करने जा रहा हूँ , जिस समय भारत को अपने गोल्ड यानी सोना को गिरवी रखना पड़ा था। अक्सर हमने ऐसे चर्चा को सुनते आ रहे है,परंतु क्या वास्तव मे ऐसे हुआ था। आज मैं इसी विषय को लेकर चर्चा करने वाले हूँ। किस समय क्या-क्या घटना हुआ था, कितने सोने गिरवी रखनी पड़ी थी और आज का जो भारत है जो दुनिया का पाँचवा सबसे बड़े (GDP) जीडीपी वाला देश एवं तेजी से उभरते हुआ economic वाला देश बनने जा रहे है.  एक समय भारत कर्जदार की रैंक मे अंतिम से तीसरे नंबर पर हुआ करती थी। 1991 मे indian economic crisis भारतीय आर्थिक संकट से लेकर आज का भारत दुनिया का पाँचवा सबसे बड़े जीडीपी वाला देश है। यह कैसे संभव हुआ । इसका तात्कालिक कारण क्या था । इसके बारे मे विस्तार से चर्चा करेंगे।

भारत मे आर्थिक संकट

1991 भारतीय आर्थिक संकट (indian economic crisis)

1991 ई० मे Indian Express मे एक खबर प्रकाशित हुई थी की हमारे देश के सोना को गिरवी रखना पड़ रहा है। इस खबर के प्रकाशन के बाद से ही हमारे देश के जनता को यह पता चला की देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है। सरकार जब दूसरी बार देश की 21 हजार किलो गोल्ड को गिरवी रखने के लिए गोपनीय तरीके से Switzerland के किसी बैंक को भेजा रहा था, तब यह खबर लीक हुआ और इंडियन एक्स्प्रेस के हेड्लाइन पर यह खबर प्रकाशित हुआ था।

सरकार का मानना था की  इस गोल्ड के बदले मे जितने पैसे मिलते है उससे देश के अंदर तेल के कर्ज को चुका देते। यह बात जब देश को पता चला तो देश का मान-सम्मान की रक्षा के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने वित्तमंत्री मनमोहन सिंह को बुला लिया जो की उस समय मनमोहन सिंह देश वित्तमंत्री एवं रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर हुआ करते थे।

प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव एवं मनमोहन सिंह से भारतीय आर्थिक संकटों indian economic crisis के बारे चर्चा हुआ । उस समय हमारे पास सिर्फ 15 दिन का पैसा बचा था। भारत का विदेशी कर्ज 72 अरब डॉलर तक पहुँच चुका था। उस समय भारत दुनिया का तीसरे सबसे बड़े कर्जदार देश थे। मनमोहन सिंह को पूरी जिम्मेदारी दी गयी की किसी भी हाल मे देश के आर्थिक संकट indian economic crisis से निजात पाना है। इसी को देखते हुए देश ने तीन नीति अपनाया, जैसे की – उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण

अगर भारत नीतियों मे परिवर्तन नहीं करता तो भारत का स्थिति 31 साल पहले ऐसे होते जैसे आज का स्थिति श्रीलंका का है। श्रीलंका मे महगाई आसमान छु रहा है, लोग सड़कों पर खड़े है, सरकार के अंदर बहुत सारे लोग सरकार को छोड़कर चले जा हरे है, राष्ट्रपति भवन पर हमला हमला हो रहा है। हालांकि पाकिस्तान को लेकर भी सुनने को मिलता है की पाकिस्तान के अंदर सिर्फ 20 दिन का पैसा बचा है। बिल्कुल ऐसे ही 1991 को भारत का पैसे सिर्फ 15 दिन के लिए बचा हुआ था। भारत का आर्थिक स्थिति बुरी तरह डूब चुका था।

1991 को भारत का आर्थिक स्थिति इतनी बुरी क्यों हुई।

1991 को भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis इतनी बुरी क्यों हुई, क्या सच मे भारत के पास देश चलाने के लिए सिर्फ 20 दिन के लिए पैसे बचे थे और भारत कैसे इन आर्थिक स्थिति से बाहर निकला। इसको जानने से पहले हम जानेंगे क्यों 1991 को भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis इतनी गिर गयी, इसका क्या कारण रहा होगा।

1991 के आसपास हमारे देश के अंदर फॉरेक्स रिजर्व मनी (विदेशी मुद्रा भंडार) बहुर ही मात्र मे घट चुकी थी। सिर्फ एक अरब डॉलर की रकम बची थी।  इसका सीधा कारण था गोल्फ देशों के अंदर छिड़ा हुआ खाड़ी युद्ध था। हमारे देश का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा इन्ही खाड़ी देशों से आती थी। युद्ध के कारण यहाँ जो लोग रोजगार कर रहे थे, वे काम छोड़कर चले गये। इससे देश मे विदेशी पैसा आना बंद हुआ।

युद्ध के कारण खाड़ी देश से आयात कच्छा तेलों का दाम मे भी कई गुना तक बृद्धि हो गयी। अधिक दामों मे भारत तेल खरीदने मे मजबूर था क्योंकि पहले से ही अधिकांश तेल भारत इन्ही खाड़ी देशों से खरीदते थे। खाड़ी युद्ध के कारण तेल के दामों मे और ऊपर से खाड़ी देशों मे रोजगार करने वाले लोग काम छोड़कर देश चले आने के कारण विदेशी मुद्रा का आना बंद हुआ।

खाड़ी युद्ध ने 1991 को भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis का तात्कालिक कारण तो दिया था, लेकिन इसके अलवा ओर भी बहुत कारण थे। भारत ने जब 1947 को आजादी प्राप्त किया उस समय से लेकर आज तक भारत ने तीन बड़े युद्ध को सामना किया। दो बड़े युद्ध पाकिस्तान के साथ हुआ और एक युद्ध चीन के हुआ।

इसके अलवा भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis डगमगाने का सबसे बड़ा कारण रहा देश का नीतियां, क्योंकि देश के अंदर अभी भी डर सता रहा था की हमे विदेशियों से व्यापार नहीं करना। आपको भलीभाँति पता होगा अंग्रेज व्यापार के नाते हमारे देश आये और हमे 200 सालों तक गुलाम बनाया। जब भी कोई बाहरी कंपनी देश मे आते उसके पहले ही देश के अंदर आंदोलन शुरू हो जाता था क्योंकि अंग्रेजी गुलामी का घाव लोगों के अंदर अभी भी हरा था एवं उन्हे डर था की हमे फिर से कहीं गुलाम न बनाए। ये रहा 1991 को भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis इतनी ज्यादा गिर जाने का असल कारण।

भारत कैसे अपना आर्थिक संकटों से छुटकारा पाया।

जब 1991 मे नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने और उन्होंने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मनमोहन सिंह को सौपी। इससे पहले मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके थे। तब देश की आर्थिक स्थिति indian economic crisis की हालत खराब थी। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए मनमोहन जी को बड़े बदलाव करने की छूट दी।

आईएमएफ़ (IMF) ने बारबार देश को चेतावनी डदे रहे थे की देश की नीतियों को बदलना पड़ेगा और कुछ कड़े फैसले लेने पड़ेंगे। उस समय वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व मे कुछ कड़े फैसले लिया गया। उन्होंने 1991 के बजट संसद मे पेश किया जो इतिहास  मे गेम चेंजर बजट कहा जाने गया।

मनमोहन जी ने आयात-निर्यात पॉलिसी मे बदलाव किया, भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोल दिया। इसी के साथ भारत की अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आगे का खाका तैयार हुआ।

विदेशी निवेशों को व्यापार के लिए देश मे आने के लिए रास्ता तैयार किया गया, ताकि उन्हे कोई परेशानी न हो। सस्ते दामों मे जमीन दिया गया। क्योंकि की जबतक विदेशी कंपनी नहीं बसेगी, अपना विदेशी धन देश मे निवेश नहीं करेगी तबतक विदेशी मुद्रा देश मे नहीं आएगी।

इस तरह देश 90 के दशक मे बाहरी दुनिया के लिए अपना बाजार, नई आर्थिक नीतियां बनाई तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार फिर से तेजी से भरने लगा और हम आर्थिक स्थिति के संकट indian economic crisis से अपने आप को बचा पाया।

Conclusion:

आज के इस लेख मे मैं आपको 1991 को भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis के बारे मे विस्तार से चर्चा किया। 1991 को भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis का क्या कारण था और हम किस तरह से इससे अपने आप को बचा पाया। लेख अगर आपको अच्छा लगा है तो इसे Fcebook, WhatsApp ओर भी social मीडिया पर शेयर करे।

FAQs

प्रश्न : 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या हुआ था?

उत्तर : 1991 को भारत का आर्थिक स्थिति indian economic crisis इतनी बुरी हुई की भारत के पास देश चलाने के लिए सिर्फ 20 दिन के लिए पैसे बचे थे।

प्रश्न : 1991 में भारत ने अपनी आर्थिक नीति क्यों बदली?

उत्तर : प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव एवं मनमोहन सिंह से भारतीय आर्थिक संकटों indian economic crisis के बारे चर्चा हुआ । उस समय हमारे पास सिर्फ 15 दिन का पैसा बचा था। भारत का विदेशी कर्ज 72 अरब डॉलर तक पहुँच चुका था। उस समय भारत दुनिया का तीसरे सबसे बड़े कर्जदार देश थे। मनमोहन सिंह को पूरी जिम्मेदारी दी गयी की किसी भी हाल मे देश के आर्थिक संकट indian economic crisis से निजात पाना है। इसी को देखते हुए देश ने तीन नीति अपनाया, जैसे की – उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण

प्रश्न : भारत में आर्थिक मंदी कब हुई थी?

उत्तर : भारत मे आर्थिक मंदी का बहुत सारे कारणों से हुआ था। भारतीय आर्थिक मंदी 1958,1966 (चीन  के साथ युद्ध), 1973 (पाकिस्तान के साथ युद्ध) और 1980 मे हुई थी।

प्रश्न : 1991 में प्रधानमंत्री कौन था?

उत्तर : देश के 10 वे प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव थे  ।

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